इजरायल और ईरान के बीच का जटिल और पुराना तनाव अब एक अभूतपूर्व और खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिसमें हाल ही में ईरान के अराक (Arak) हैवी वाटर रिएक्टर पर इजरायल के कथित हमले की खबरें मध्य-पूर्व में एक नई अस्थिरता का संकेत दे रही हैं। यह घटनाक्रम क्षेत्र में पहले से ही नाजुक शांति को गंभीर रूप से चुनौती दे रहा है और वैश्विक समुदाय के लिए गहरी चिंता का विषय बन गया है।
ताजा रिपोर्टों के अनुसार, इजरायली रक्षा बल (IDF) ने गुरुवार को ईरान के अराक हैवी वाटर रिएक्टर पर हवाई हमला किया है। ईरानी राज्य टेलीविजन ने इस हमले की पुष्टि की है, हालांकि उसने यह भी बताया कि हमले से पहले ही सुविधा को एहतियात के तौर पर खाली करा लिया गया था, जिससे किसी भी तरह के विकिरण (radiation) के रिसाव या खतरे का कोई संकेत नहीं मिला है। ईरानी अधिकारियों ने जोर देकर कहा है कि साइट सुरक्षित है और किसी बड़े नुकसान से बची है, लेकिन इजरायल के इस कदम ने दोनों देशों के बीच सीधी सैन्य भिड़ंत की आशंका को बढ़ा दिया है।
इजरायल ने इस हमले को अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक बताते हुए एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें दावा किया गया है कि अराक रिएक्टर का उपयोग परमाणु बम बनाने के लिए प्लूटोनियम का उत्पादन करने के लिए किया जा रहा था। इजरायली सेना (IDF) के अनुसार, इस हमले का प्राथमिक लक्ष्य रिएक्टर के कोर सील (core seal) को निष्क्रिय करना था। यह कोर सील प्लूटोनियम उत्पादन प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण घटक है, और इसे नष्ट करके इजरायल का उद्देश्य ईरान की परमाणु हथियार क्षमता को आगे बढ़ने से रोकना है। इजरायल लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता रहा है और वह बार-बार यह स्पष्ट कर चुका है कि वह ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएगा।
यह नवीनतम हमला इजरायल और ईरान के बीच पिछले एक सप्ताह से चल रहे सीधे सैन्य टकराव का एक हिस्सा है। इस संघर्ष की शुरुआत पिछले शुक्रवार को हुई थी, जब इजरायल ने ईरान के भीतर कई सैन्य ठिकानों और कथित परमाणु स्थलों पर अचानक हवाई हमले किए थे। इन हमलों को अप्रैल 2024 में ईरान द्वारा इजरायल पर किए गए बड़े ड्रोन और मिसाइल हमले के जवाब के रूप में देखा गया था, जो खुद गाजा में इजरायल के सैन्य अभियानों और सीरिया में ईरानी सैन्य अधिकारियों की हत्या के बाद शुरू हुआ था। अराक पर हुआ यह विशेष हमला ईरान द्वारा दक्षिणी इजरायल के एक प्रमुख अस्पताल पर किए गए मिसाइल हमले के सीधे जवाब में माना जा रहा है, जिसमें कई नागरिक घायल हुए थे।
परमाणु सुविधाओं पर हमले का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने लगातार युद्धरत पक्षों से परमाणु स्थलों को निशाना न बनाने का आग्रह किया है। ऐसे हमलों से न केवल विनाशकारी मानवीय और पर्यावरणीय परिणाम हो सकते हैं, बल्कि ये अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और संधियों का भी उल्लंघन हो सकते हैं जिनका उद्देश्य परमाणु सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखना है। यदि विकिरण का रिसाव होता है, तो इसके प्रभाव क्षेत्रीय सीमाओं को पार कर सकते हैं और व्यापक आबादी को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे एक बड़ी मानवीय त्रासदी पैदा हो सकती है।
ईरान ने इस हमले को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन और अंतर्राष्ट्रीय कानून का सीधा उल्लंघन बताया है। हालांकि, उसने तत्काल जवाबी कार्रवाई के बारे में कोई घोषणा नहीं की है, लेकिन उसने भविष्य में “उचित समय और स्थान पर” जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित रखा है। इस अनिश्चितता ने मध्य-पूर्व में तनाव के स्तर को और बढ़ा दिया है, जहां पहले से ही इजरायल-हमास संघर्ष और यमन में हूती विद्रोहियों के हमलों के कारण अशांति बनी हुई है।
इस बढ़ते संघर्ष का क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर गहरा असर हो सकता है। यदि यह संघर्ष बढ़ता है, तो इससे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, वैश्विक व्यापार मार्ग बाधित हो सकते हैं और लाखों लोगों का विस्थापन हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न वैश्विक शक्तियां स्थिति को शांत करने और दोनों पक्षों से संयम बरतने का आग्रह कर रही हैं। हालांकि, इजरायल और ईरान दोनों के अपने-अपने सुरक्षा हित और लाल रेखाएं हैं, जिससे किसी भी तत्काल समाधान की संभावना कम दिख रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि अराक पर हमला एक संदेश देने का इजरायल का तरीका हो सकता है कि वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कोई समझौता नहीं करेगा, भले ही इसके लिए जोखिम उठाना पड़े। दूसरी ओर, ईरान इस हमले को अपनी परमाणु क्षमता को और मजबूत करने के बहाने के रूप में देख सकता है, जिससे क्षेत्र में हथियारों की होड़ की संभावना बढ़ सकती है।
कुल मिलाकर, इजरायल और ईरान के बीच यह बढ़ता तनाव मध्य-पूर्व की नाजुक भू-राजनीतिक स्थिति को उजागर करता है। परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाना एक खतरनाक मिसाल कायम करता है जो भविष्य के संघर्षों में और अधिक अस्थिरता ला सकता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह राजनयिक समाधान खोजने और दोनों पक्षों को संयम बरतने के लिए प्रेरित करने हेतु सक्रिय रूप से प्रयास करे ताकि इस खतरनाक स्थिति को एक पूर्ण क्षेत्रीय युद्ध में बदलने से रोका जा सके।
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