कानपुर, उत्तर प्रदेश: हाल ही में सोशल मीडिया और कुछ पुरानी खबरों के संदर्भ में ‘कानपुर में डायनासोर का बच्चा पकड़े जाने’ का एक दावा फिर से चर्चा में आया है। हालाँकि, यह खबर पूरी तरह से गलत और भ्रामक है। वैज्ञानिक रूप से यह असंभव है कि आज के दौर में कहीं भी जीवित डायनासोर का बच्चा पाया जाए, क्योंकि डायनासोर करोड़ों साल पहले पृथ्वी से विलुप्त हो चुके हैं।
वास्तविक घटना क्या थी? यह खबर वास्तव में लगभग दो साल पुरानी एक घटना पर आधारित है, जिसे अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर और गलत तरीके से पेश किया गया था। उस समय, कानपुर के एक रिहायशी इलाके में, एक घर के पास एक बड़ी गोह (मॉनिटर लिजर्ड) पाई गई थी। गोह, जिसे मॉनिटर छिपकली भी कहते हैं, एक बड़ी सरीसृप प्रजाति है जो भारत सहित कई देशों में पाई जाती है। इसके शरीर पर खुरदरी त्वचा, नुकीले पंजे और लंबी पूँछ होती है, जो दूर से देखने पर या जानकारी के अभाव में किसी को ‘डायनासोर’ जैसा भ्रम पैदा कर सकती है।
घटना का विवरण और ‘गोह’ की पहचान: रिपोर्ट्स के अनुसार, कानपुर के किसी घर में या उसके आसपास यह बड़ी गोह घुस गई थी, जिससे स्थानीय लोगों में, खासकर बच्चों में कौतूहल और कुछ हद तक डर का माहौल बन गया था। गोह का आकार और उसकी चाल-ढाल कुछ हद तक प्रागैतिहासिक जीवों की याद दिला सकती है, और इसी कारणवश किसी ने इसे ‘डायनासोर का बच्चा’ कहकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया, जिसके बाद यह खबर आग की तरह फैल गई।
स्थानीय लोगों ने तुरंत वन विभाग या वन्यजीव बचाव दल को सूचित किया। मौके पर पहुँचे विशेषज्ञों ने पुष्टि की कि यह कोई डायनासोर नहीं, बल्कि एक सामान्य मॉनिटर लिजर्ड (वैज्ञानिक नाम: Varanus) थी। गोह आमतौर पर शांत स्वभाव की होती हैं और मनुष्यों पर तब तक हमला नहीं करतीं जब तक उन्हें खतरा महसूस न हो। यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित प्रजाति है।
बचाव और पुनः वन्यजीव क्षेत्र में छोड़ा जाना: वन विभाग के कर्मचारियों या वन्यजीव विशेषज्ञों ने बड़ी सावधानी से उस गोह को पकड़ा। उसे किसी तरह का नुकसान नहीं पहुँचाया गया और बाद में उसे उसके प्राकृतिक आवास, जैसे कि किसी जंगल या सुरक्षित वन्यजीव क्षेत्र में, वापस छोड़ दिया गया।
भ्रामक खबरों का प्रभाव: यह घटना सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली भ्रामक और गलत जानकारियों (Fake News) का एक प्रमुख उदाहरण बन गई थी। बिना तथ्यों की पुष्टि किए किसी भी खबर पर विश्वास करना या उसे आगे बढ़ाना समाज में अनावश्यक भ्रम और भय फैला सकता है। ऐसे मामलों में हमेशा आधिकारिक सूत्रों या विश्वसनीय समाचार माध्यमों से जानकारी की पुष्टि करना महत्वपूर्ण होता है।
संक्षेप में, कानपुर में कोई ‘डायनासोर का बच्चा’ नहीं पकड़ा गया था; यह केवल एक बड़ी गोह थी जिसे अज्ञानता या सनसनीखेज बनाने की प्रवृत्ति के कारण गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया।
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