उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के एक शांत ग्रामीण परिवेश में एक ऐसी अकल्पनीय और भयावह घटना सामने आई है, जिसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। सिर्फ सात दिन पहले इस दुनिया में आए एक मासूम, निहत्थे नवजात बच्चे को एक आवारा कुत्ते ने अपना निशाना बनाया और उसके सिर का एक बड़ा हिस्सा नोच खाया। इस रूह कंपा देने वाले हमले से उस नन्ही सी जान ने बिस्तर पर ही दम तोड़ दिया। जब मां की आंख खुली और उसने अपने कलेजे के टुकड़े का यह वीभत्स रूप देखा, तो उसकी हृदय विदारक चीख से पूरा घर और आसपास का इलाका गूंज उठा। यह घटना केवल एक परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे समाज के लिए भी एक बड़ी त्रासदी और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
खुशियों पर कहर: कैसे मासूम पर टूट पड़ी मौत?
यह घटना उस परिवार के लिए किसी वज्रपात से कम नहीं है, जिसने कुछ ही दिन पहले नए मेहमान के आने की खुशी मनाई थी। माता-पिता, जो युवा थे और पहली बार माता-पिता बनने का सुख अनुभव कर रहे थे, उनके घर में सिर्फ सात दिन पहले ही एक स्वस्थ बच्चे का जन्म हुआ था। घर में खुशियों का माहौल था, हर कोई इस नन्ही जान की किलकारियों से उत्साहित था। नामकरण की तैयारियां चल रही थीं, भविष्य के सपने बुने जा रहे थे।
घटना वाली रात, नवजात को बिस्तर पर मां के बगल में सुलाया गया था। दिनभर की थकान और बच्चे की देखभाल के कारण मां गहरी नींद में थी। घर का मुख्य दरवाजा या कोई खिड़की शायद अनजाने में खुली रह गई थी, या किसी अन्य रास्ते से एक आवारा कुत्ता घर के अंदर घुस आया। ग्रामीण इलाकों में आवारा कुत्तों की समस्या आम है और वे अक्सर भोजन की तलाश में घरों के आसपास भटकते रहते हैं।
रात के सन्नाटे में, जब घर में सब सो रहे थे, उस कुत्ते ने अपनी हैवानियत का प्रदर्शन किया। उसने सीधे नवजात बच्चे को निशाना बनाया। बच्चे की कोमलता और उसकी असहाय अवस्था का फायदा उठाकर, कुत्ते ने उसके सिर पर हमला कर दिया। बच्चा इतना छोटा था कि वह विरोध भी नहीं कर सका, और न ही अपनी दर्द भरी आवाज से किसी को सचेत कर सका।
मां की चीख और भयावह मंजर: हर आंख नम
कुछ समय बाद, मां को कुछ असहज महसूस हुआ या शायद बच्चे की हल्की सी हरकत या कुत्ते की आहट ने उसकी नींद तोड़ दी। जैसे ही उसने बच्चे की ओर देखा, उसकी रूह कांप उठी। बच्चे का आधा सिर बुरी तरह से नोचा जा चुका था और खून से लथपथ था। यह भयानक मंजर देखते ही मां के मुंह से एक चीख निकली, जिसने रात की खामोशी को चीर दिया। उसकी चीख इतनी दर्दनाक थी कि आसपास सो रहे परिवार के अन्य सदस्य और पड़ोसी भी तुरंत जाग गए और दौड़े चले आए।
उन्होंने देखा कि कुत्ता अभी भी बच्चे के पास ही खड़ा था। किसी तरह उसे वहां से भगाया गया, लेकिन तब तक मासूम ने अपनी अंतिम सांसें ले ली थीं। बच्चे के शरीर में कोई हरकत नहीं थी। यह देख परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। माता-पिता, दादा-दादी और अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। हर किसी की आंखों में खौफ और आंसू थे। यह ऐसी त्रासदी थी, जिसकी कल्पना भी कोई नहीं कर सकता।
पुलिस जांच और समाज पर उठे सवाल
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया, शव को अपने कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पुलिस ने परिवार के सदस्यों और आसपास के लोगों से भी पूछताछ की है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कुत्ता घर में कैसे घुसा, वह पालतू था या आवारा, और क्या परिवार की ओर से कोई लापरवाही हुई थी। पुलिस अधिकारियों ने इस घटना को ‘अत्यंत हृदय विदारक’ बताया है और आश्वासन दिया है कि मामले की गहनता से जांच की जाएगी।
यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है:
- आवारा कुत्तों का आतंक: शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या एक बड़ी समस्या बन चुकी है। इनकी आबादी पर नियंत्रण और उनके प्रबंधन के लिए स्थानीय निकायों की क्या भूमिका है?
- सुरक्षा में चूक: क्या घर की सुरक्षा में कोई चूक हुई, जिससे कुत्ता अंदर घुस पाया?
- नवजात शिशुओं की सुरक्षा: यह घटना दिखाती है कि नवजात शिशु कितने असहाय और संवेदनशील होते हैं, और उनकी सुरक्षा के लिए हर पल कितनी सतर्कता की आवश्यकता है।
अभिभावकों के लिए सबक और प्रशासन के लिए चुनौती
यह त्रासदी केवल एक परिवार की नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक कड़ा सबक है। अभिभावकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके घरों में, खासकर बच्चों के सोने के स्थानों पर, किसी भी जानवर की पहुंच न हो। दरवाजे, खिड़कियां और जाली हमेशा सुरक्षित और बंद रखें। यदि घर में पालतू जानवर हैं, तो उनकी ट्रेनिंग और व्यवहार पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
स्थानीय प्रशासन, नगर निगमों और पशु कल्याण संगठनों के लिए यह घटना एक गंभीर चुनौती है। उन्हें आवारा पशुओं की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने, उनके टीकाकरण और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर रखने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने होंगे। ऐसी घटनाएं न सिर्फ जानलेवा होती हैं बल्कि समाज में भय और आक्रोश भी पैदा करती हैं।
मासूम बच्चे की मौत ने पूरे उत्तर प्रदेश को शोक में डुबो दिया है। यह त्रासदी हमें याद दिलाती है कि हमारे आसपास भी ऐसे खतरे मौजूद हैं जिनसे निपटने के लिए व्यक्तिगत सावधानी और सामूहिक प्रयास दोनों जरूरी हैं। इस बच्चे की मौत व्यर्थ न जाए, बल्कि यह प्रशासन और समाज को जगाने का काम करे ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी मासूम जान को बेवजह न गँवाना पड़े।
Leave a comment