आपने अक्सर देखा होगा कि लकड़ी पानी में तैरती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप लकड़ी के एक टुकड़े को ज़बरदस्ती पानी के अंदर डुबोकर रखते हैं, तो उस पर कितना बल लगता है? यह कोई सामान्य सवाल नहीं, बल्कि इसके पीछे विज्ञान का एक अद्भुत नियम छिपा है, जिसे उत्प्लावन बल (Buoyant Force) या उत्क्षेप बल कहते हैं। यह वही बल है जो जहाजों को तैरने में मदद करता है और आपको पानी में हल्का महसूस कराता है। आइए, जानते हैं इस रहस्यमयी बल के बारे में पूरी डिटेल और समझते हैं आर्कमिडीज़ का कमाल का नियम!
क्या है उत्प्लावन बल? जब पानी लगाता है ‘ऊपर की ओर धक्का’
जब भी आप किसी वस्तु को किसी द्रव (जैसे पानी) में डुबोते हैं, तो वह द्रव उस वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है। इसी बल को उत्प्लावन बल कहते हैं। यह बल वस्तु को डूबने से रोकने या उसे ऊपर धकेलने की कोशिश करता है। यही कारण है कि पानी में हमें वस्तुओं का भार कम महसूस होता है।
उत्प्लावन बल की मात्रा किस पर निर्भर करती है?
उत्प्लावन बल की मात्रा मुख्य रूप से दो बातों पर निर्भर करती है:
- विस्थापित द्रव का आयतन (Volume of Displaced Fluid): वस्तु द्वारा हटाए गए पानी की मात्रा।
- द्रव का घनत्व (Density of the Fluid): पानी कितना घना है।
आर्कमिडीज़ का सिद्धांत: उत्प्लावन बल का ‘सोना’ नियम
इस उत्प्लावन बल के पीछे का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत आर्कमिडीज़ का सिद्धांत (Archimedes’ Principle) है, जो कहता है:
“जब किसी वस्तु को किसी द्रव में पूर्ण या आंशिक रूप से डुबोया जाता है, तो उस पर लगने वाला उत्प्लावन बल उस वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होता है।”
सरल शब्दों में कहें तो, जितनी मात्रा में पानी वस्तु के डूबने से हटेगा, उस हटे हुए पानी का जितना वज़न होगा, उतना ही ऊपर की ओर उत्प्लावन बल लगेगा।
लकड़ी के टुकड़े पर कितना उत्प्लावन बल लगेगा? जवाब चौंका देगा!
अब आते हैं हमारे मुख्य सवाल पर: एक लकड़ी के टुकड़े को पानी के नीचे पकड़कर रखने पर उस पर कितना उत्प्लावन बल लगेगा?
अगर हम आर्कमिडीज़ के सिद्धांत को ध्यान से देखें, तो इसका जवाब बहुत स्पष्ट है:
“लकड़ी के टुकड़े को पानी के नीचे पूरा डुबोकर रखने पर, उस पर उतना ही उत्प्लावन बल लगेगा जितना कि उस लकड़ी के टुकड़े के आयतन (Volume) के बराबर पानी का वज़न होता है।”
इसे एक उदाहरण से समझते हैं:
- मान लीजिए आपके पास लकड़ी का एक टुकड़ा है जिसका आयतन 100 घन सेंटीमीटर (100 cm3) है।
- जब आप इस लकड़ी के टुकड़े को पूरी तरह से पानी में डुबोते हैं, तो यह अपने आयतन के बराबर, यानी 100 cm3 पानी को हटाएगा।
- हम जानते हैं कि पानी का घनत्व लगभग 1 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर (1 g/cm3) होता है।
- तो, 100 cm3 पानी का वज़न 100 ग्राम (100 g) होगा।
- इसलिए, उस लकड़ी के टुकड़े पर ऊपर की ओर 100 ग्राम के बराबर का उत्प्लावन बल लगेगा।
महत्वपूर्ण बात: उत्प्लावन बल इस बात पर निर्भर नहीं करता कि लकड़ी कितनी हल्की या भारी है (यानी उसका घनत्व कितना है), बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि वह अपने आयतन के बराबर कितना पानी हटाती है। चाहे लकड़ी पानी में तैरती हो या डूबती हो (अगर वह डूबने वाली होती), जब उसे पूरी तरह से डुबोया जाएगा, तो उत्प्लावन बल हमेशा उसके आयतन द्वारा हटाए गए पानी के भार के बराबर ही होगा।
क्यों लकड़ी तैरती है? घनत्व का खेल!
अब आप सोच रहे होंगे कि अगर उत्प्लावन बल इतना लगता है, तो लकड़ी तैरती क्यों है? इसका जवाब लकड़ी के घनत्व (Density) में छिपा है।
- लकड़ी का घनत्व पानी से कम होता है।
- जब आप लकड़ी को पानी में छोड़ते हैं, तो वह तब तक पानी में डूबती है जब तक कि उसके द्वारा हटाए गए पानी का भार उसके अपने वज़न के बराबर न हो जाए। चूंकि लकड़ी हल्की होती है (घनत्व कम), इसलिए वह अपने पूरे आयतन को डुबोए बिना ही अपने वज़न के बराबर पानी हटा देती है और तैरने लगती है।
- अगर आप उसे जबरदस्ती डुबोते हैं, तो उस पर लगने वाला उत्प्लावन बल उसके अपने वज़न से ज़्यादा होगा, और यही कारण है कि आपको उसे पानी के नीचे पकड़कर रखने के लिए नीचे की ओर बल लगाना पड़ता है। जैसे ही आप उसे छोड़ेंगे, वह ऊपर उछलकर तैरने लगेगी।
दैनिक जीवन में उत्प्लावन बल का महत्व
उत्प्लावन बल सिर्फ विज्ञान की किताबों तक सीमित नहीं है, यह हमारे दैनिक जीवन और प्रौद्योगिकी में भी बहुत महत्वपूर्ण है:
- जहाज और नाव: विशालकाय जहाज पानी में तैरते हैं क्योंकि वे अपने वज़न के बराबर पानी हटाते हैं, जिससे उन पर ऊपर की ओर पर्याप्त उत्प्लावन बल लगता है।
- पनडुब्बियां: पनडुब्बियां अपने अंदर पानी भरकर (घनत्व बढ़ाकर) डूबती हैं और पानी बाहर निकालकर (घनत्व घटाकर) तैरती हैं।
- लाइफ जैकेट: लाइफ जैकेट हमें पानी में तैरने में मदद करती हैं क्योंकि वे हमारे शरीर द्वारा हटाए गए पानी के आयतन को बढ़ा देती हैं, जिससे उत्प्लावन बल बढ़ जाता है।
- गर्म हवा के गुब्बारे: हवा में भी उत्प्लावन बल काम करता है। गर्म हवा ठंडी हवा से हल्की होती है, इसलिए गुब्बारे में गर्म हवा भरकर उसे ऊपर धकेला जाता है।
तो अगली बार जब आप पानी में कुछ तैरता हुआ देखें या किसी चीज़ को पानी में डुबोने की कोशिश करें, तो उत्प्लावन बल और आर्कमिडीज़ के शानदार सिद्धांत को जरूर याद करें! विज्ञान सचमुच हमारे आसपास हर जगह मौजूद है और हर चीज़ के पीछे कोई न कोई रोचक नियम छिपा है।