देश की राजधानी दिल्ली में पानी की भीषण किल्लत को दूर करने की दिशा में दिल्ली सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। दिल्ली जल बोर्ड ने राजधानी में तीन नए अत्याधुनिक जल शोधन संयंत्र (वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट) स्थापित करने की योजना को मंजूरी दे दी है। इन संयंत्रों के चालू होने से दिल्लीवासियों को रोजाना 235 मिलियन गैलन (एमजीडी) अतिरिक्त पानी उपलब्ध हो सकेगा, जिससे लाखों लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।
रणनीतिक स्थानों पर नए वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट
दिल्ली जल बोर्ड द्वारा अनुमोदित ये तीनों नए वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट तीन प्रमुख स्थानों पर स्थापित किए जाएंगे, जिन्हें जल वितरण को संतुलित करने के लिए रणनीतिक रूप से चुना गया है:
- इरादतनगर (नरेला के पास): यह उत्तरी दिल्ली के क्षेत्रों को लक्षित करेगा।
- नजफगढ़ (दक्षिण-पश्चिम दिल्ली): यह दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति बढ़ाएगा।
- छतरपुर (दक्षिण दिल्ली): यह दक्षिणी दिल्ली के इलाकों को लाभान्वित करेगा।
इन स्थानों के चुनाव से दिल्ली के उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकेगा, जिससे उन इलाकों में जल संकट को कम करने में मदद मिलेगी जो अक्सर पानी की कमी का सामना करते हैं।
पर्वतीय स्रोतों से पानी लाने की तैयारी
दिल्ली सरकार के अधिकारियों के अनुसार, इन नए जल शोधन संयंत्रों के संचालन के लिए आवश्यक कच्चे पानी की आपूर्ति हिमाचल प्रदेश के रेणुका बांध और उत्तराखंड के किशाऊ तथा लखवार बांध से की जाएगी। ये तीनों बांध हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं, जो पानी का एक विश्वसनीय और स्वच्छ स्रोत प्रदान करते हैं। इन पर्वतीय स्रोतों से आने वाला पानी यमुना नदी के माध्यम से दिल्ली तक पहुँचेगा, जहाँ इसे अत्याधुनिक संयंत्रों में शुद्ध कर दिल्ली के नागरिकों तक पहुँचाया जाएगा।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत, दिल्ली जल बोर्ड ने वित्तीय मोर्चे पर भी तैयारी कर ली है। जल बोर्ड ने इन बांधों से पानी लेने के अधिकार प्राप्त करने और आवश्यक बुनियादी ढाँचे के विकास में कोई देरी न हो, इसके लिए संबंधित एजेंसियों को पहले ही 230.73 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। शेष धनराशि परियोजना के चरणबद्ध तरीके से जारी की जाएगी।
पानी की उपलब्धता में वृद्धि और जनता को लाभ
वर्तमान में, दिल्ली में पानी की अनुमानित दैनिक मांग 1100 एमजीडी से अधिक है, जबकि मौजूदा आपूर्ति लगभग 930 एमजीडी के आसपास सीमित है। नए संयंत्रों से 235 एमजीडी अतिरिक्त पानी आने से यह मांग-आपूर्ति का अंतर काफी हद तक कम हो जाएगा, जिससे दिल्ली की जल सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार होगा।
इस परियोजना से लाखों दिल्लीवासियों को सीधा लाभ मिलेगा:
- स्थानीय निवासियों को राहत: खासकर नजफगढ़, छतरपुर और नरेला जैसे सीमावर्ती और पानी की कमी से जूझ रहे इलाकों में रहने वाले निवासियों को नियमित और स्वच्छ पानी की आपूर्ति मिल सकेगी। इन क्षेत्रों में अक्सर टैंकरों पर निर्भरता रहती है, जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है।
- भूजल पर निर्भरता में कमी: पाइपलाइन से स्वच्छ पानी की नियमित आपूर्ति होने से टैंकरों और बोरवेल पर निर्भरता कम होगी। इससे भूजल स्तर में सुधार की उम्मीद है, जो दिल्ली के लिए एक गंभीर पर्यावरणीय चिंता का विषय रहा है।
प्रौद्योगिकी और निर्माण की समय-सीमा
इन नए जल ट्रीटमेंट प्लांट में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। इनमें बहु-स्तरीय निस्पंदन (multi-stage filtration), पराबैंगनी कीटाणुशोधन (ultraviolet disinfection) और वास्तविक समय गुणवत्ता निगरानी (real-time quality monitoring) जैसी उन्नत प्रणालियाँ शामिल होंगी, जो यह सुनिश्चित करेंगी कि आपूर्ति किया गया पानी उच्च गुणवत्ता का हो।
निर्माण कार्य 2025 के अंत तक शुरू होने की संभावना है, और इस परियोजना को 2027 तक पूरा करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है। यह परियोजना दिल्ली को एक स्थायी और सुरक्षित जल आपूर्ति प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी, जिससे लाखों नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार आएगा।