एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग का इज़रायल से डिपोर्टेशन और गाजा की नाकेबंदी पर असर
यह घटना, जिसमें स्वीडिश पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग को इज़रायल से वापस भेज दिया गया और गाजा की ओर जा रहे एक सहायता जहाज को जब्त कर लिया गया, इज़रायल-गाजा संघर्ष और मानवीय सहायता के प्रयासों की जटिलताओं को उजागर करती है। यह घटना मंगलवार को सामने आई, जब इज़रायली विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की।
ग्रेटा थनबर्ग का आगमन और जहाज़ का ज़ब्तीकरण:
ग्रेटा थनबर्ग, जो अपने जलवायु परिवर्तन सक्रियता के लिए विश्व स्तर पर जानी जाती हैं, गाजा के लोगों के लिए राहत सामग्री लेकर जा रहे एक जहाज पर सवार होकर आई थीं। इस जहाज का नाम ‘मदलीन’ था और इसमें थनबर्ग के अलावा 12 अन्य यात्री भी सवार थे, जिनमें अल जज़ीरा के एक पत्रकार उमर फयाद भी शामिल थे। इन सभी एक्टिविस्ट्स का उद्देश्य गाजा पट्टी में लोगों तक मानवीय सहायता पहुंचाना था, जो लंबे समय से इज़रायल की नाकेबंदी का सामना कर रही है।
इज़रायली विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि उन्होंने इस जहाज को जब्त कर लिया है। उनका तर्क था कि जहाज बिना किसी आधिकारिक मंजूरी के गाजा की सीमा में प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था। इज़रायल लगातार यह कहता रहा है कि वह गाजा पट्टी में किसी भी जहाज को बिना उसकी अनुमति के प्रवेश करने की अनुमति नहीं देगा। उनका मानना है कि गाजा को दी जाने वाली कोई भी मदद अंततः हमास की ताकत में इजाफा करती है, जिसे इज़रायल एक आतंकवादी संगठन मानता है।
ग्रेटा थनबर्ग की हिरासत और निर्वासन:
जहाज को जब्त करने के बाद, इज़रायली प्रशासन ने ग्रेटा थनबर्ग को हिरासत में ले लिया। उन्हें तेल अवीव स्थित एयरपोर्ट ले जाया गया, जहां से उन्हें ‘डिपोर्ट’ (निर्वासित) कर दिया गया। इज़रायली विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि करते हुए एक प्लेन की तस्वीर भी साझा की, जिसमें ग्रेटा थनबर्ग फ्रांस के लिए रवाना होती दिख रही थीं। ग्रेटा सहित जहाज पर सवार सभी 12 लोगों को इज़रायल ने अपने क्षेत्र से बाहर कर दिया। यह कार्रवाई इज़रायल की अपनी सीमाओं की सुरक्षा और गाजा की नाकेबंदी को बनाए रखने की दृढ़ता को दर्शाती है।
पृष्ठभूमि और इज़रायल की चेतावनी:
यह घटना एक ऐसे समय में हुई, जब इज़रायल और गाजा के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा था। सोमवार को, इस घटना से ठीक पहले, इज़रायल ने गाजा में फिर से सैन्य कार्रवाई की थी, जिसमें लोगों की मौतें हुई थीं। इज़रायली हमले में 14 लोग अमेरिका की मदद से चलने वाले गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन से भी जुड़े थे। यह सहायता केंद्र दक्षिणी राफा में संचालित होता है, जो गाजा पट्टी का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
इज़रायल ने पहले भी ग्रेटा थनबर्ग को चेतावनी दी थी कि यदि वह गाजा आने की कोशिश करती हैं, तो वे “कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र” होंगे। यह चेतावनी इस बात का स्पष्ट संकेत था कि इज़रायल इस तरह के मानवीय सहायता अभियानों को अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। इज़रायल लगातार यह तर्क देता रहा है कि गाजा को सीधे तौर पर दी जाने वाली कोई भी मदद, बिना उसकी देखरेख के, हमास के लिए एक स्रोत बन सकती है, जिससे उसकी सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा मिल सकता है।
घटना का महत्व:
ग्रेटा थनबर्ग के निर्वासन और सहायता जहाज के ज़ब्तीकरण की यह घटना कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
- गाजा की मानवीय स्थिति: यह गाजा पट्टी में गंभीर मानवीय संकट को उजागर करती है, जहां लोग मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं और बाहरी सहायता पर निर्भर हैं।
- इज़रायल की नाकेबंदी: यह इज़रायल द्वारा गाजा पर लगाई गई सख्त नाकेबंदी को रेखांकित करती है, जिसका उद्देश्य हमास को कमजोर करना है, लेकिन जिसका सीधा प्रभाव गाजा की नागरिक आबादी पर पड़ता है।
- अंतर्राष्ट्रीय एक्टिविज्म की चुनौतियां: यह घटना दर्शाती है कि अंतर्राष्ट्रीय एक्टिविस्टों को गाजा जैसे संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्रों में मानवीय सहायता पहुंचाने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- वैश्विक ध्यान: ग्रेटा थनबर्ग जैसे हाई-प्रोफाइल व्यक्तित्व का इस घटना में शामिल होना, गाजा मुद्दे पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने में सहायक है।
संक्षेप में, यह घटना इज़रायल और गाजा के बीच चल रहे जटिल संघर्ष, मानवीय सहायता की आवश्यकता और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और संप्रभुता के बीच संतुलन साधने की चुनौतियों का एक स्पष्ट उदाहरण है।