हाल ही में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने की कीमतों ने एक नया ऐतिहासिक मील का पत्थर स्थापित किया है, जहां शुक्रवार को यह 1,00,314 रुपये प्रति 10 ग्राम के अभूतपूर्व स्तर पर बंद हुआ. घरेलू वायदा बाजार में सोने का एक लाख के आंकड़े को पार करना पहली बार हुआ है, जिसने निवेशकों और बाजार विश्लेषकों का ध्यान समान रूप से खींचा है. इस असाधारण वृद्धि के पीछे मुख्य रूप से वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और घरेलू मुद्रा, रुपये में कमजोरी को माना जा रहा है.
इजरायल-ईरान तनाव: सोने के उछाल का प्रमुख कारक
विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव निवेशकों को ‘सुरक्षित-हेवन’ यानी सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर आकर्षित कर रहा है. SS वेल्थस्ट्रीट की संस्थापक सुगंधा सचदेवा के अनुसार, ईरानी ठिकानों पर इजरायली हमलों ने सोने की कीमतों को ऊपर उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि तनाव और बढ़ता है, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें 3,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं. यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भू-राजनीतिक अस्थिरता सोने को एक आकर्षक निवेश बना रही है.
रुपये की कमजोरी और डॉलर इंडेक्स का प्रभाव
वैश्विक कारकों के अलावा, डॉलर इंडेक्स में कमजोरी और भारतीय रुपये में गिरावट ने भी सोने की कीमतों में बढ़ोतरी में योगदान दिया है. एलकेपी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी बताते हैं कि रुपये की 60 पैसे की गिरावट से 86.10 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंचने से आयातित सोने की लागत में वृद्धि हुई है, जिससे घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में और तेजी आई है. यह दर्शाता है कि घरेलू मुद्रा की स्थिति का भी सोने की कीमतों पर सीधा प्रभाव पड़ता है.
क्या यह सट्टा गतिविधियों का परिणाम है?
जहां भू-राजनीतिक और आर्थिक कारक स्पष्ट रूप से सोने की कीमतों में वृद्धि का समर्थन करते हैं, वहीं कुछ विशेषज्ञ इसे सट्टा गतिविधियों से भी जोड़ रहे हैं. जूलियस बेयर के रिसर्च हेड कार्स्टन मेनके का मानना है कि हालिया बढ़त का एक बड़ा कारण एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग और सट्टा सौदे हैं, न कि वास्तविक अंतर्निहित मांग. उन्होंने यह भी कहा कि ऐतिहासिक रूप से, सोना हमेशा भू-राजनीतिक संकटों में विश्वसनीय नहीं रहा है, जो निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण विचारणीय बिंदु है.
2025 में सोने का शानदार प्रदर्शन और भविष्य की संभावनाएं
2025 की शुरुआत से अब तक सोने ने लगभग 31% का प्रभावशाली रिटर्न दिया है, जिससे यह इस साल की सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली परिसंपत्तियों में से एक बन गया है. वेंचुरा सिक्योरिटीज के एनएस रामास्वामी ने निकट भविष्य में सोने की कीमतें 1,02,000 रुपये तक पहुंचने का अनुमान लगाया है. इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि बैंक ऑफ अमेरिका और गोल्डमैन सैक्स जैसे वैश्विक निवेश संस्थान यह अनुमान लगा रहे हैं कि 2026 तक सोना 4,000 डॉलर प्रति औंस के पार जा सकता है. यह लंबी अवधि के लिए सोने में निवेश की मजबूत संभावनाओं को दर्शाता है.
कुल मिलाकर, अस्थिर वैश्विक हालात और आर्थिक अनिश्चितता के बीच सोना एक बार फिर निवेशकों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बनकर उभरा है. जब तक भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता बनी रहती है, तब तक सोने की कीमतों में मजबूती बने रहने की संभावना है. हालांकि, सट्टा गतिविधियों के संभावित प्रभाव और ऐतिहासिक रूप से भू-राजनीतिक संकटों में सोने के प्रदर्शन की विश्वसनीयता पर विचार करना भी महत्वपूर्ण है. निवेशकों को सूचित निर्णय लेने के लिए इन सभी कारकों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए.