भारत में कई रिपोर्टें हैं जहाँ लोगों ने आकाश में असामान्य चीज़ें देखीं
लद्दाख में भारतीय सेना द्वारा देखे जाना (2010-2013):
सबसे प्रसिद्ध घटनाओं में से एक लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों से आती है। 2010 से 2013 के बीच, भारतीय सेना के जवानों ने कई बार आकाश में अजीबोगरीब चमकती हुई वस्तुएँ देखने की रिपोर्ट दी। ये वस्तुएँ बिना किसी आवाज के बहुत तेज गति से चलती थीं और अचानक दिशा बदल लेती थीं।
इन घटनाओं की जाँच भारतीय सेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वैज्ञानिकों ने भी की। हालांकि, DRDO ने बाद में अपनी रिपोर्ट में इन वस्तुओं को “चीनी ड्रोन” या “वायुमंडलीय घटनाएँ” बताया। कुछ विशेषज्ञों ने इन ऊँचाई वाले क्षेत्रों में होने वाली असामान्य प्रकाशीय घटनाओं या वायुमंडलीय दबाव में परिवर्तन को भी संभावित कारण बताया।
यह घटना काफी चर्चित रही क्योंकि यह सेना के प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा देखी गई थी, फिर भी इसका कोई एलियन कनेक्शन साबित नहीं हो सका।
इंफाल हवाई अड्डे पर यूएफओ देखे जाने की अफवाहें (2023):
हाल ही में, 2023 में इंफाल हवाई अड्डे पर एक कथित यूएफओ देखे जाने की खबर तेजी से फैली, जिससे कुछ समय के लिए उड़ान संचालन बाधित हो गया था।
भारतीय वायु सेना ने तुरंत जांच के लिए लड़ाकू विमान भेजे, लेकिन किसी भी अज्ञात वस्तु का कोई ठोस सबूत नहीं मिला। बाद में यह बताया गया कि यह शायद कोई गुब्बारा या मौसम संबंधी घटना हो सकती है, या बस एक गलत अलार्म था। यह घटना दिखाती है कि कैसे अफवाहें तेजी से फैल सकती हैं।
कानपुर में कथित यूएफओ की तस्वीरें (2015):
2015 में, उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक लड़के ने दावा किया कि उसने अपने कैमरे से बादलों की तस्वीरें क्लिक करते समय गलती से एक उड़ती हुई तश्तरी (flying saucer) को कैद कर लिया।
यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। हालांकि, बाद में जांच से पता चला कि ऐसी ही तस्वीरें दुनिया के अन्य हिस्सों से भी आई थीं और ये अक्सर डिजिटल एडिटिंग सॉफ्टवेयर (जैसे फोटोशॉप) का उपयोग करके बनाई गई थीं। यह एक क्लासिक उदाहरण है कि कैसे नकली तस्वीरें भ्रम पैदा कर सकती हैं।
समुद्र टापू में “स्नो मैन” जैसी वस्तु (2004):
2004 में, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास समुद्र टापू पर वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक सफेद, चमकीली वस्तु देखने की रिपोर्ट दी, जिसे उन्होंने “स्नो मैन” जैसा बताया।
इस घटना को लेकर काफी अटकलें लगाई गईं, लेकिन कोई निश्चित निष्कर्ष नहीं निकला। यह किसी अज्ञात समुद्री जीव या भूगर्भीय घटना का परिणाम भी हो सकती थी।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और विशेषज्ञ राय
भारत में यूएफओ देखे जाने की अधिकांश घटनाओं को वैज्ञानिक समुदाय द्वारा गलत पहचान वाली वस्तुएँ (misidentified objects) माना जाता है। इनमें शामिल हो सकते हैं:
सामान्य विमान और ड्रोन: विशेष रूप से रात में या दूर से देखने पर, सामान्य विमानों की रोशनी या ड्रोन की गतिविधियाँ भ्रम पैदा कर सकती हैं।
मौसम गुब्बारे या उपग्रह: वायुमंडलीय अनुसंधान के लिए छोड़े गए मौसम गुब्बारे या पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रह कभी-कभी असामान्य दिखाई दे सकते हैं।
वायुमंडलीय घटनाएँ: ऊपरी वायुमंडल में होने वाली प्राकृतिक घटनाएँ, जैसे गोलाकार बिजली (ball lightning), उल्कापिंड (meteors), या अन्य वायुमंडलीय ऑप्टिकल घटनाएँ, असामान्य रोशनी या आकृतियाँ बना सकती हैं।
प्रकाश का परावर्तन: शहरों की रोशनी का बादलों या वातावरण से परावर्तन भी भ्रमित करने वाली आकृतियाँ बना सकता है।
मनोवैज्ञानिक कारक: कभी-कभी, व्यक्ति की अपेक्षाएँ या भय भी उसे ऐसी चीजें देखने के लिए प्रेरित कर सकते हैं जो वास्तव में वहाँ नहीं होतीं।
धोखाधड़ी और शरारत: कुछ रिपोर्टें जानबूझकर की गई धोखाधड़ी या शरारत का परिणाम होती हैं, खासकर डिजिटल मीडिया के इस युग में जहाँ तस्वीरें और वीडियो आसानी से बनाए जा सकते हैं।
सेवानिवृत्त भारतीय वायु सेना के अधिकारी और अन्य वैज्ञानिक अक्सर यह बात दोहराते हैं कि यूएफओ देखे जाने की अधिकांश घटनाएँ वैज्ञानिक स्पष्टीकरण के दायरे में आती हैं। उनका मानना है कि जब तक कोई ठोस, दोहराया जाने योग्य, और सत्यापन योग्य प्रमाण न हो, तब तक किसी भी घटना को एलियन से जोड़ना जल्दबाजी होगी।
निष्कर्ष
ब्रह्मांड की विशालता को देखते हुए पृथ्वी के बाहर जीवन की संभावना पर वैज्ञानिक शोध जारी है, लेकिन भारत सहित दुनिया के किसी भी हिस्से से एलियन के प्रत्यक्ष प्रमाण अभी भी एक रहस्य बने हुए हैं।