पुणे, महाराष्ट्र: शुक्रवार शाम को महाराष्ट्र के पुणे जिले के मावल इलाके में स्थित कुंदमाला में इंद्रायणी नदी पर बना एक सदियों पुराना और जर्जर पुल अचानक ढह गया। इस भीषण हादसे में करीब 25 से 30 पर्यटकों के नदी की तेज धारा में बह जाने की आशंका है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार, इस त्रासदी में 6 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कुछ अन्य लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। यह घटना मावल के तालेगांव दाभाड़े कस्बे के समीप हुई, जो स्थानीय निवासियों और पर्यटकों के बीच एक प्रसिद्ध स्थल है।
हादसे की भयावहता और पृष्ठभूमि:
यह दुखद घटना ऐसे समय में हुई जब पिछले दो दिनों से मावल इलाके में भारी बारिश हो रही थी, जिसके कारण इंद्रायणी नदी का जलस्तर अपने चरम पर था और उसकी धारा अत्यंत तीव्र थी। कई पर्यटक, इसी बढ़े हुए जलस्तर और नदी के प्रचंड रूप को देखने के लिए पुल पर इकट्ठा हुए थे। विडंबना यह है कि यह पुल अपनी जर्जर स्थिति के कारण पहले ही स्थानीय प्रशासन द्वारा दो-तीन दिन पूर्व बंद कर दिया गया था। हालांकि, पुल के पास किसी भी प्रकार की पुलिस तैनाती या सुरक्षाकर्मियों की अनुपस्थिति के कारण लोग आसानी से पुल पर चढ़ गए। जब पुल ढहा, उस समय उस पर भारी संख्या में लोग मौजूद थे, और अचानक हुए इस हादसे ने किसी को संभलने का मौका नहीं दिया, जिससे वे सीधे नदी की उफनती धाराओं में बह गए।
तत्काल राहत और बचाव अभियान:
घटना की सूचना मिलते ही पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। स्थानीय पुलिस, ग्रामीण और आपदा राहत दल तुरंत मौके पर पहुंचे और बिना समय गंवाए बड़े पैमाने पर बचाव अभियान शुरू कर दिया। नदी में फंसे और बहे हुए लोगों को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय गोताखोरों, अनुभवी तैराकों और आपातकालीन सेवाओं को बचाव कार्य में लगाया गया है। अब तक की कार्रवाई में, बचाव दल ने 6 से 7 लोगों को नदी से सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की है, जिन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई गई। दुर्भाग्यवश, कई अन्य अभी भी लापता हैं, और उनके जीवित होने की संभावना कम होती जा रही है।
प्रशासन पर लापरवाही के गंभीर आरोप:
घटनास्थल पर मौजूद स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों में प्रशासन के प्रति गहरा रोष और नाराजगी देखने को मिल रही है। उनका आरोप है कि यह हादसा पूरी तरह से प्रशासन की घोर लापरवाही का परिणाम है। लोगों का कहना है कि जब पुल को पहले ही “जर्जर” घोषित कर बंद कर दिया गया था, तो उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वहां कोई पुलिसकर्मी या सुरक्षा गार्ड क्यों नहीं तैनात किया गया? यदि पुल के पास चेतावनी बोर्ड लगाए गए होते और पुलिस की मौजूदगी होती, तो लोग पुल पर नहीं चढ़ते और इस तरह की भयावह त्रासदी से बचा जा सकता था। इसके अतिरिक्त, लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि हादसे की सूचना मिलने के बावजूद, बचाव कार्य शुरू होने में काफी देरी हुई, जिससे पीड़ितों को बचाने का महत्वपूर्ण समय बर्बाद हो गया। स्थानीय लोगों का दावा है कि उन्होंने स्वयं ही प्रशासन को घटना की जानकारी दी थी।
मुख्यमंत्री ने जताया दुख और बचाव कार्यों पर जोर:
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस हृदय विदारक घटना पर गहरा दुख और संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने जानकारी दी कि उन्होंने तत्काल Divisional Commissioner, तहसीलदार और पुलिस कमिश्नर से बात की है और स्थिति का जायजा लिया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि कुछ लोग घायल हुए हैं, जिन्हें नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जबकि कुछ लोग अभी भी नदी में फंसे हुए हैं। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमें घटनास्थल पर पहुंच रही हैं और बचाव कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल होंगी। फडणवीस ने हालांकि, हताहतों की संख्या की तत्काल पुष्टि करने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि “अभी इस बारे में बात करना उचित नहीं होगा” और पूरी जानकारी मिलने के बाद ही विस्तृत आंकड़े जारी किए जाएंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रशासन लोगों को राहत प्रदान करने और बचाव कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
इस घटना ने एक बार फिर पुराने और जर्जर ढांचों की सुरक्षा और उनके रखरखाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, विशेष रूप से ऐसे पर्यटन स्थलों पर जहां भारी भीड़ उमड़ती है। स्थानीय प्रशासन से अपेक्षा की जाती है कि वे ऐसी अप्रिय घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाएंगे।