मध्य प्रदेश की मोनालिसा भोसले, अपनी सादगी, खूबसूरती और मासूमियत से महाकुंभ में लाखों लोगों का दिल जीतने के बाद एक बार फिर सुर्खियों में हैं. 16 साल की इस किशोरी ने हाल ही में कैमरे के सामने अपने पहले अनुभव को साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि शुरुआत में वे कितनी घबरा गई थीं. यह कहानी सिर्फ एक साधारण लड़की के एक बड़े सपने को पूरा करने की नहीं है, बल्कि यह दृढ़ संकल्प, सही मार्गदर्शन और अपने डर पर काबू पाने की भी कहानी है. आइए विस्तार से जानते हैं कि मोनालिसा को कैमरे ने क्यों डराया और उन्होंने इस चुनौती पर कैसे विजय पाई.
पहली बार कैमरे का सामना: “दिल की धड़कन बढ़ गई थी और मैं बहुत डर गई थी”
मोनालिसा, जिन्हें महाकुंभ में रुद्राक्ष की माला बेचते हुए सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त पहचान मिली थी, अब बॉलीवुड में अपना पहला कदम रखने को तैयार हैं. उनकी पहली फ़िल्म, जिसका शीर्षक ‘द डायरी ऑफ़ मणिपुर’ है, की शूटिंग जल्द ही शुरू होने वाली है. लेकिन किसी भी नए कलाकार की तरह, मोनालिसा के लिए भी यह सफ़र आसान नहीं था. फ़िल्म के प्रोमो शूट के दौरान पहली बार उन्हें पेशेवर कैमरे का सामना करना पड़ा. मोनालिसा ने उस अनुभव को याद करते हुए बताया, “मैंने ज़िंदगी में कभी कैमरे के सामने पोज़ नहीं दिया था. जब मैं सेट पर पहुंची, तो मैंने देखा कि चारों ओर तेज़ लाइट्स, बड़े-बड़े कैमरे और इतने सारे लोग थे. यह सब देखकर मैं पूरी तरह से घबरा गई थी.” उन्होंने आगे कहा, “मेरे दिल की धड़कन इतनी तेज़ हो गई थी कि मुझे लगा कि अब क्या होगा, मैं यह कर पाऊंगी या नहीं.” यह स्वाभाविक है कि अचानक इतनी लाइमलाइट और एक नए माहौल में कोई भी घबरा सकता है. उनकी यह बात उन सभी लोगों से जुड़ती है जिन्होंने कभी किसी नए और बड़े काम की शुरुआत की हो.
डायरेक्टर सनोज मिश्रा बने संबल: “उनकी बातों से मेरा डर कम हुआ”
मोनालिसा की इस घबराहट को दूर करने में फ़िल्म के डायरेक्टर सनोज मिश्रा ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मोनालिसा ने कृतज्ञतापूर्वक बताया, “सनोज सर मेरे पास आए और मुझे बार-बार हौसला देते रहे. वो मुझे कहते थे, ‘मोनालिसा, तुम वही हो जिसे लाखों लोग पसंद करते हैं, जिसने अपनी सादगी से सबका दिल जीता है. तुम्हें बस अपनी स्वाभाविक मुस्कान बिखेरनी है और खुद को कैमरे के सामने सहज महसूस कराना है’.” मोनालिसा ने मुस्कुराते हुए कहा, “उनकी इन बातों से मेरा डर धीरे-धीरे कम होने लगा. उन्होंने मुझे कैमरे के सामने कैसे खड़ा होना है, कैसे एक्सप्रेशंस देने हैं, और कैसे सहज रहना है, इसके लिए कई छोटे-छोटे टिप्स दिए.” सनोज मिश्रा का यह मार्गदर्शन और निरंतर समर्थन मोनालिसा के लिए एक संजीवनी बूटी जैसा साबित हुआ. यह दर्शाता है कि कैसे एक अनुभवी व्यक्ति का विश्वास और प्रोत्साहन किसी नौसिखिए को बड़े मंच पर सफल होने में मदद कर सकता है.
कैमरा अब दोस्त बन रहा है: एक नए अध्याय की शुरुआत
अपने शुरुआती संकोच और डर के बावजूद, मोनालिसा अब कैमरे के साथ एक नया रिश्ता बना रही हैं. उन्होंने आत्मविश्वास से कहा, “पहले तो कैमरा मुझे बहुत डराता था, जैसे कि वह कोई अजनबी हो, लेकिन अब मुझे लगता है कि यह मेरा सबसे अच्छा दोस्त है. अब मैं इसके सामने अपनी कहानी, अपने जज़्बात और अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त कर सकती हूं.” उनकी यह बात उनकी त्वरित सीखने की क्षमता और अदम्य भावना को दर्शाती है.
मोनालिसा का महाकुंभ से बॉलीवुड तक का यह असाधारण सफ़र न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं और बड़े सपने देखते हैं. यह कहानी साबित करती है कि दृढ़ संकल्प, सही मार्गदर्शन और अपने डर का सामना करने की हिम्मत से कोई भी अपने सपनों को हकीकत में बदल सकता है.
क्या मोनालिसा की यह कहानी आपको भी किसी ऐसे व्यक्ति की याद दिलाती है जिसने अपने डर को हराकर कुछ बड़ा हासिल किया हो?