प्रधानमंत्री मोदी ने सेना को पहलगाम हमले में कार्रवाई करने की हरी झंडी दे दी है। प्रधानमंत्री ने आज दोपहर प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में तीनों सेनाओं के कमांडरों को इस प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान की। पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इस बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ समुचित प्रहार करना हमारा राष्ट्रीय निर्णय है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमताओं पर पूरा भरोसा जताया और कहा कि वह तीनों सेना प्रमुखों को यह निर्णय लेने की स्वतंत्रता दे रहे हैं कि कब और कहां किस तरह की कार्रवाई करनी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सशस्त्र बलों को जवाबी कार्रवाई का तरीका, लक्ष्य और समय तय करने का पूरा अधिकार दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस हमले में शामिल आतंकवादियों और उनके आकाओं को “पृथ्वी के छोर तक” खदेड़ने तथा उन्हें “उनकी कल्पना से परे” कठोरतम सजा देने का आह्वान किया। पहलगाम हमला जम्मू-कश्मीर में नागरिकों पर कई वर्षों में हुआ सबसे घातक हमला है, जिससे देश भर में आक्रोश फैल गया है तथा हमलावरों और उनके आकाओं के खिलाफ सख्त जवाबी कार्रवाई की मांग की जा रही है। प्रधानमंत्री के कड़े बयानों और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर उनकी सरकार के दृढ़ रुख से भारत की ओर से कड़े जवाब की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
इससे पहले प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान के साथ-साथ तीनों सेना प्रमुखों अर्थात् सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी भी शामिल हुए। यह पहली बार है कि तीनों सेना प्रमुखों ने इस तरह की उच्च स्तरीय बैठक में भाग लिया है। यह बैठक लगभग डेढ़ घंटे तक चली।
अब संघ प्रमुख मोहन भागवत प्रधानमंत्री से मिलने उनके आवास पर पहुंचे हैं। मंगलवार दोपहर गृह कार्यालय में एक उच्च स्तरीय बैठक भी आयोजित की गई। बैठक में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, बीएसएफ, असम राइफल्स और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के महानिदेशक भी उपस्थित थे। सीआरपीएफ, एसएसबी और सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें शामिल हुए। ये सभी अभ्यास बुधवार को होने वाली सीसीएस बैठक से पहले किए जा रहे हैं। बुधवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीपीए) की बैठक भी होने वाली है।
बता दें कि 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में सेना की वर्दी पहने आतंकियों ने पर्यटकों से उनका धर्म पूछकर उन पर गोलियां चला दीं, जिसमें 25 पर्यटकों समेत 26 लोगों की मौत हो गई, जबकि 17 घायल हो गए। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए और सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया गया। इसके अलावा कई सख्त कदम भी उठाए गए। पाकिस्तान इससे स्तब्ध है। सोमवार को रक्षा मंत्री ने कहा था कि भारत कभी भी हमला कर सकता है, इसलिए सेना हाई अलर्ट पर है।
मोदी सरकार ने 2016 में उरी में सेना के जवानों पर आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के अंदर “सर्जिकल स्ट्राइक” की थी। पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर हमले के बाद इसने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकवादी शिविरों पर हवाई हमले किए थे। पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कदम उठाए हैं, जिनमें पड़ोसी देश के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित करना भी शामिल है। (एजेंसी से प्राप्त योगदान सहित)