जब मध्य पूर्व में ईरान और इजरायल के बीच तनाव अपने चरम पर था और हॉर्मुज जलडमरूमध्य पर संकट के बादल मंडरा रहे थे, तब पूरी दुनिया की निगाहें इस महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग पर टिकी थीं। यह वो रास्ता है जहाँ से दुनिया के 20% कच्चे तेल की सप्लाई होती है, और इस पर किसी भी तरह की बाधा वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिला सकती है। ऐसे में, भारत, जो अपनी ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा इसी मार्ग से आयात करता है, ने एक बड़ा और दूरदर्शी कदम उठाया, जिसने न सिर्फ अपनी सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि अपनी आर्थिक स्थिरता को भी मजबूत किया। यह ‘मास्टरस्ट्रोक’ दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया है।
हॉर्मुज: दुनिया की तेल धमनियों का चौराहा
हॉर्मुज जलडमरूमध्य, ईरान और ओमान के बीच स्थित, फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। इसकी सबसे संकरी जगह सिर्फ 21 मील (33 किलोमीटर) चौड़ी है, लेकिन इसी पतले से रास्ते से हर दिन लाखों बैरल कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस गुजरती है। ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष ने इस जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकियों को जन्म दिया, जिससे वैश्विक तेल बाजारों में खलबली मच गई।
भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और चौथा सबसे बड़ा गैस खरीदार है। हमारी ऊर्जा जरूरतों का लगभग 80% आयात पर निर्भर है, और इसमें से एक बड़ा हिस्सा हॉर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। ऐसे में, इस मार्ग पर किसी भी तरह की रुकावट भारत की अर्थव्यवस्था पर सीधा और गंभीर असर डाल सकती थी, जिससे तेल की कीमतें आसमान छू सकती थीं और आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती थी।
संकट की आहट और भारत की दूरदर्शिता: ‘ऑपरेशन संकल्प’ और उससे भी आगे
भारत ने मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को बहुत पहले ही भांप लिया था। 2019 में जब ओमान की खाड़ी में तेल टैंकरों पर हमले हुए थे, तभी से भारतीय नौसेना ने अपने व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा के लिए ‘ऑपरेशन संकल्प’ शुरू कर दिया था। इस ऑपरेशन के तहत, भारतीय नौसेना के युद्धपोत हॉर्मुज जलडमरूमध्य और आसपास के समुद्री इलाकों में लगातार गश्त करते हैं ताकि भारतीय ध्वज वाले व्यापारिक जहाजों को सुरक्षित मार्ग मिल सके। यह ऑपरेशन आज भी जारी है और इसने भारतीय समुद्री हितों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
लेकिन हालिया ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच भारत ने सिर्फ सैन्य सतर्कता ही नहीं दिखाई, बल्कि एक व्यापक रणनीतिक बदलाव भी किया:
- आयात स्रोतों में विविधता: यह भारत की सबसे महत्वपूर्ण और दूरदर्शी रणनीति साबित हुई। वर्षों से, भारत ने अपनी तेल और गैस आपूर्ति के लिए केवल कुछ गिने-चुने देशों पर निर्भर रहने के बजाय, आयात स्रोतों को बड़े पैमाने पर विविधतापूर्ण बनाया है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी इस बात पर जोर दिया है।
- रूस से आयात में वृद्धि: संघर्ष के बीच, भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात काफी बढ़ा दिया है। रूस अपना तेल स्वेज नहर, केप ऑफ गुड होप या प्रशांत महासागर जैसे वैकल्पिक मार्गों से भेजता है, जिससे हॉर्मुज पर निर्भरता कम होती है।
- अमेरिका और ब्राजील से तेल: जून 2025 में, अमेरिका से भारत का क्रूड ऑयल आयात बढ़कर 439,000 बैरल प्रतिदिन हो गया, जो मई में 280,000 बैरल प्रतिदिन था। ब्राजील जैसे अन्य देशों से भी तेल आयात बढ़ाया गया है।
- कतर से LNG: कतर से आने वाली तरल प्राकृतिक गैस (LNG) भी आमतौर पर हॉर्मुज जलडमरूमध्य का उपयोग नहीं करती।
- पर्याप्त रणनीतिक भंडार: भारत ने अपनी तेल रिफाइनरियों और रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारों में पर्याप्त तेल का स्टॉक सुनिश्चित किया है। इससे किसी भी अल्पकालिक आपूर्ति बाधा का सामना करने के लिए देश के पास लगभग तीन सप्ताह तक का स्टॉक उपलब्ध है। यह तैयारी किसी भी आकस्मिक स्थिति में देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करती है।
भारत पर ‘शून्य’ प्रभाव? वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सबक
विशेषज्ञों का मानना है कि इन दूरदर्शी कदमों के कारण, यदि हॉर्मुज जलडमरूमध्य कुछ समय के लिए बंद भी हो जाता है, तो भारत पर इसका बहुत कम या लगभग नगण्य सीधा प्रभाव पड़ेगा। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अजय श्रीवास्तव के अनुसार, लंबे समय तक रुकावट वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक सैन्य और आर्थिक संकट बन सकती है, लेकिन भारत ने खुद को इससे बचाने की ठोस तैयारी की है।
हालांकि, यह भी सच है कि वैश्विक तेल कीमतों में उछाल का अप्रत्यक्ष असर तो भारत पर भी पड़ेगा, क्योंकि हम वैश्विक बाजार से जुड़े हुए हैं। लेकिन आपूर्ति की निरंतरता सुनिश्चित करने में भारत की रणनीति ने उसे एक मजबूत स्थिति में ला दिया है।
यह घटना दर्शाती है कि भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को लेकर कितनी गंभीर और सुनियोजित रणनीति अपनाई है। हॉर्मुज पर मंडराते संकट के बीच भारत का यह ‘मास्टरस्ट्रोक’ न सिर्फ उसकी बढ़ती वैश्विक हैसियत को दर्शाता है, बल्कि अन्य देशों के लिए भी एक महत्वपूर्ण सबक है कि कैसे संकट के समय में दूरदर्शिता और आत्मनिर्भरता एक देश को सुरक्षित रख सकती है।
Leave a comment