भारत और चीन के बीच के रिश्ते, जो अक्सर सीमा विवाद और पाकिस्तान के प्रति चीन के झुकाव जैसे मुद्दों के कारण तनावपूर्ण रहते हैं, ने हाल ही में एक अप्रत्याशित मोड़ लिया। केरल के तट के पास एक समुद्री दुर्घटना में भारतीय तटरक्षक बलों द्वारा प्रदान की गई त्वरित और प्रभावी सहायता ने चीन को भी प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप एक दुर्लभ सार्वजनिक आभार व्यक्त किया गया है। यह घटना मानवीय सहायता और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग की संभावना को रेखांकित करती है, भले ही व्यापक भू-राजनीतिक संबंध जटिल हों।
घटना का विस्तृत विवरण
सिंगापुर के ध्वज वाला एक मालवाहक जहाज, एमवी वैन हाई 503, कोलंबो, श्रीलंका से भारत के न्हावा शेवा (मुंबई) बंदरगाह की ओर अपनी यात्रा पर था। 9 जून, 2025 को, जब जहाज केरल के अझिक्कल तट से लगभग 44 नॉटिकल मील (लगभग 81 किलोमीटर) दूर अरब सागर में था, तब एक गंभीर घटना हुई। जहाज के कंटेनर बे (वह क्षेत्र जहाँ कंटेनर रखे जाते हैं) में अचानक एक बड़ा विस्फोट हुआ, जिसके बाद भीषण आग लग गई। इस प्रकार की घटना खुले समुद्र में अत्यधिक खतरनाक हो सकती है, क्योंकि यह जहाज की स्थिरता, चालक दल की सुरक्षा और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।
जहाज पर कुल 22 चालक दल के सदस्य सवार थे, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा, यानी 14 सदस्य, चीनी नागरिक थे। आग लगने के कारण उत्पन्न हुई अफरातफरी और खतरे के बीच, कम से कम चार क्रू मेंबर लापता हो गए, जो संभवतः विस्फोट या आग की चपेट में आ गए थे, और पांच अन्य सदस्य घायल हो गए। घायलों में कुछ की हालत गंभीर बताई गई थी। जहाज पर कंटेनर लदे थे, जिससे आग और अधिक तीव्र और नियंत्रण से बाहर होने का खतरा था, क्योंकि कुछ कंटेनर में ज्वलनशील पदार्थ भी हो सकते थे।
भारतीय तटरक्षक बल का त्वरित और समन्वित बचाव अभियान
जैसे ही ‘एमवी वैन हाई 503’ पर आग लगने और आपात स्थिति की खबर भारतीय अधिकारियों तक पहुंची, भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने एक असाधारण स्तर की तत्परता और पेशेवर दक्षता का प्रदर्शन किया। उनकी प्रतिक्रिया बेहद त्वरित और समन्वित थी, जिसने एक बड़ी मानवीय और पर्यावरणीय आपदा को टालने में मदद की।
- तत्काल जहाजों की तैनाती: सूचना मिलते ही, आईसीजी ने तुरंत अपने तीन प्रमुख जहाजों को घटनास्थल की ओर रवाना किया: आईसीजीएस राजदूत, आईसीजीएस अर्णवेश, और आईसीजीएस सचेत। ये जहाज बचाव और अग्निशमन अभियानों के लिए सुसज्जित हैं। बाद में, आग को पूरी तरह से नियंत्रित करने और स्थिति पर नज़र रखने के लिए समुद्र प्रहरी और आईसीजीएस समर्थ सहित अतिरिक्त जहाजों को भी तैनात किया गया।
- हवाई सहायता: केवल समुद्री जहाजों तक ही सीमित न रहते हुए, आईसीजी ने अपनी हवाई संपत्तियों का भी उपयोग किया। आईसीजी के विमानों ने हवाई सर्वेक्षण किया और विशेष एयर ड्रॉपेबल (हवा से गिराए जाने वाले) अग्निशमन एजेंटों का उपयोग करके आग बुझाने का प्रयास किया। यह तकनीक उन स्थितियों में विशेष रूप से प्रभावी होती है जहाँ जहाज तक तुरंत पहुंचना मुश्किल हो सकता है या जहाँ आग बहुत बड़ी हो।
- अग्निशमन और कूलिंग ऑपरेशन: भारतीय तटरक्षक बल के लगातार और प्रभावी प्रयासों के कारण, जहाज में लगी भीषण आग पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया गया। हालाँकि, आग बुझने के बाद भी, जहाज के कंटेनर बे से काला धुआँ उठता रहा, जो दर्शाता था कि अंदर अभी भी गर्मी बाकी थी या कुछ सामग्री सुलग रही थी। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, आईसीजी के जहाजों ने बाउंड्री कूलिंग ऑपरेशन शुरू किया, जिसमें जहाज के जलने वाले हिस्सों के चारों ओर पानी का छिड़काव करके उन्हें ठंडा किया जाता है ताकि आग दोबारा न भड़के और जहाज के ढांचे को और अधिक नुकसान न हो।
- घायलों का बचाव और चिकित्सा सहायता: बचाव अभियान के दौरान, चालक दल के सदस्यों को सुरक्षित निकालना एक प्राथमिकता थी। भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस सूरत ने इस काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने 18 चालक दल के सदस्यों को जहाज से निकालकर मंगलुरु तट पर पहुंचाया।
घायलों और लापता सदस्यों की स्थिति
मंगलुरु के पुलिस उपायुक्त (कानून एवं व्यवस्था) सिद्धार्थ गोयल ने मीडिया को सूचित किया कि आईएनएस सूरत द्वारा लाए गए 18 चालक दल के सदस्यों में से, दो सदस्य गंभीर रूप से घायल थे जिन्हें तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता थी। चार अन्य सदस्यों को मामूली चोटें आई थीं, जबकि शेष 12 सदस्य पूरी तरह से सुरक्षित थे। सभी घायलों को मंगलुरु के एजे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उनकी स्थिति अब खतरे से बाहर बताई गई है। लापता चार चालक दल के सदस्यों की तलाश जारी है, हालांकि उनके बचने की उम्मीदें कम होती जा रही हैं।
चीन द्वारा भारत का अप्रत्याशित आभार
इस घटना का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि चीन ने भारतीय तटरक्षक बल के बचाव प्रयासों की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा की। भारत में चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट के माध्यम से भारतीय नौसेना और मुंबई तटरक्षक बल के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया। उन्होंने विशेष रूप से चालक दल के सदस्यों, जिनमें अधिकांश चीनी नागरिक थे, को बचाने में उनकी त्वरित और प्रभावी भूमिका पर जोर दिया।
यह आभार विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत और चीन के संबंध आमतौर पर तनावपूर्ण रहते हैं। इस तरह की मानवीय सहायता के लिए चीन द्वारा सार्वजनिक प्रशंसा एक दुर्लभ घटना है और यह दर्शाती है कि मानवीय संकट के समय, भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को किनारे रखा जा सकता है। यह घटना भारत की ‘पड़ोसी पहले’ की नीति और ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के दृष्टिकोण को भी सुदृढ़ करती है, जो समुद्री सुरक्षा और मानवीय सहायता में भारत की भूमिका को वैश्विक स्तर पर उजागर करता है। यह दिखाता है कि कैसे एक संकटकालीन स्थिति दोनों देशों के बीच संबंधों में एक सकारात्मक, हालांकि छोटी, दरार पैदा कर सकती है। यह भविष्य में मानवीय और आपदा राहत सहयोग के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है।
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