जब दुनिया आतंकवाद के बढ़ते खतरे से जूझ रही है, तब भारत ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर इस बुराई के खिलाफ अपनी बुलंद आवाज उठाई है। इस बार मंच चीन था, जहां भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने आतंकवाद के मुकाबले को ‘सबसे महत्वपूर्ण’ बताया। उनके इस दो टूक बयान ने न सिर्फ चीन को महत्वपूर्ण संदेश दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी एक बार फिर आतंकवाद से निपटने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि भारत की उस दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण है जो सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ लगातार संघर्ष कर रहा है।
चीन में डोभाल की दहाड़: आतंकवाद पर ‘जीरो टॉलरेंस’ का संदेश
NSA अजीत डोभाल, जो अपनी सीधी और बेबाक शैली के लिए जाने जाते हैं, ने चीन के बीजिंग में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में हिस्सा लिया। यह बैठक ऐसे समय में हुई जब वैश्विक स्तर पर कई आतंकी संगठन सक्रिय हैं और कुछ देश आतंकवाद को ‘स्टेट पॉलिसी’ के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।
डोभाल ने अपने संबोधन में स्पष्ट रूप से कहा: “आतंकवाद का मुकाबला हमारे समय की सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है। यह केवल सुरक्षा का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह आर्थिक विकास, सामाजिक स्थिरता और मानवीय मूल्यों के लिए भी खतरा है।”
उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के जोर दिया कि आतंकवाद को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता और न ही इसे किसी धर्म या नस्ल से जोड़ा जा सकता है। यह बयान परोक्ष रूप से उन देशों को भी संदेश था जो आतंकवाद को ‘अच्छा’ और ‘बुरा’ में बांटने की कोशिश करते हैं या उसे किसी बहाने से न्यायोचित ठहराते हैं।
क्यों अहम है चीन में यह बयान? बीजिंग को सीधा संदेश
डोभाल का यह बयान चीन की धरती से आना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। चीन, जो अक्सर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयासों को रोकता रहा है, के लिए यह एक सीधा और स्पष्ट संदेश था।
- आतंकवाद पर दोहरा रवैया: भारत लंबे समय से चीन से मांग करता रहा है कि वह आतंकवाद पर अपना दोहरा रवैया छोड़े। डोभाल के बयान ने इस मुद्दे को फिर से रेखांकित किया।
- क्षेत्रीय स्थिरता: डोभाल ने SCO जैसे क्षेत्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। यह चीन और मध्य एशियाई देशों के लिए भी एक संदेश था कि आतंकवाद सिर्फ एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की स्थिरता को खतरा है।
- सीमा पार आतंकवाद: हालांकि डोभाल ने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका जोर “सीमा पार आतंकवाद” और “आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों” पर था, जिसे पाकिस्तान के संदर्भ में देखा गया। खासकर बिहार जैसे सीमावर्ती राज्यों के लिए यह खतरा हमेशा बना रहता है।
भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति: आतंक पर कोई समझौता नहीं
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई है। अनुच्छेद 370 को हटाना, सर्जिकल स्ट्राइक, और बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे कदम इसी नीति का हिस्सा रहे हैं। डोभाल के बयान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत के इस अडिग रुख से अवगत कराया।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आतंकवाद को वित्तपोषण (Terror Financing) रोकना और आतंकवादियों को प्रौद्योगिकी (Technology) और संसाधनों तक पहुंच से वंचित करना बेहद जरूरी है। इसके लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहयोग, खुफिया जानकारी साझा करने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाने का आह्वान किया। बिहार जैसे राज्यों में भी आतंकवाद के वित्तपोषण के नेटवर्क को तोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
वैश्विक शांति और सुरक्षा का मुद्दा
डोभाल ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद किसी एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए “अंतर्राष्ट्रीय सहयोग” और “जानकारी साझा करना” अपरिहार्य है। यह बयान इस बात पर भी जोर देता है कि आतंकवाद से निपटने के लिए बहुपक्षीय मंचों को मजबूत करना कितना आवश्यक है। बिहार जैसे राज्यों की पुलिस भी राष्ट्रीय स्तर पर खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि आतंकवाद के खतरे को कम किया जा सके।
NSA अजीत डोभाल का चीन में दिया गया यह बयान भारत की दृढ़ कूटनीति और आतंकवाद के खिलाफ उसकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह न केवल चीन जैसे देशों के लिए एक कड़ा संदेश था, बल्कि यह वैश्विक समुदाय को भी याद दिलाता है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई रियायत नहीं दी जा सकती। भारत इस लड़ाई में सबसे आगे खड़ा है और अपनी इस भूमिका को लगातार मजबूत कर रहा है। बिहार के लोगों के लिए भी यह खबर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्य भी आतंकवाद के अप्रत्यक्ष खतरों से मुक्त नहीं है।
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