नई दिल्ली/पटना, बिहार: चिलचिलाती गर्मी से राहत की उम्मीद लगाए बैठे लोगों के लिए मॉनसून की चाल ने एक बार फिर सबको हैरत में डाल दिया है! भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अपने ताजा पूर्वानुमान में एक ऐसा चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिसके बाद देश के कई राज्यों में ‘रिकॉर्डतोड़’ बारिश की आशंका जताई गई है, जबकि कुछ अन्य राज्यों को अभी भी सूखे जैसे हालात का सामना करना पड़ सकता है। मॉनसून का यह अप्रत्याशित ‘ट्विस्ट’ लाखों किसानों, शहरों में रहने वाले लोगों और आपदा प्रबंधन टीमों के लिए नई चुनौतियां लेकर आया है। क्या आपके राज्य में भी गरजेंगे बादल, या तरसना पड़ेगा बूंद-बूंद पानी के लिए?
मॉनसून का ‘धोखा’ या नई चाल? IMD का हैरान करने वाला पूर्वानुमान
इस साल मॉनसून की शुरुआत ने पहले तो लोगों को उम्मीदें दी थीं, लेकिन अब IMD के नए अपडेट ने कई सवालों को जन्म दे दिया है। आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अपने तय पैटर्न पर आगे बढ़ता है, लेकिन इस बार बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बनी कुछ विशेष मौसमी प्रणालियों के कारण इसकी दिशा और तीव्रता में अप्रत्याशित बदलाव देखा गया है।
IMD के नवीनतम पूर्वानुमान के अनुसार:
- भारी बारिश वाले क्षेत्र: मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों में अगले कुछ दिनों में अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना जताई गई है। यहां बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। IMD ने इन क्षेत्रों के लिए ‘ऑरेंज’ और कुछ जगहों पर ‘रेड’ अलर्ट भी जारी किया है, जिसका मतलब है कि लोगों को बहुत सतर्क रहने की जरूरत है।
- कम बारिश वाले क्षेत्र: वहीं, राजस्थान के पश्चिमी हिस्से, गुजरात के कुछ भाग और दक्षिण भारत के कुछ इलाकों में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है। इन क्षेत्रों में किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि उनकी फसलें मॉनसून पर निर्भर करती हैं।
- अचानक तीव्रता में वृद्धि: मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मॉनसून की अक्षीय रेखा (Monsoon Trough) की स्थिति में बदलाव और ऊपरी वायुमंडल में बने चक्रवाती परिसंचरण के कारण कुछ खास इलाकों में अचानक बारिश की तीव्रता बढ़ गई है।
शहरों में बाढ़ का खतरा, किसानों की बढ़ी चिंताएं
मॉनसून के इस बदले हुए मिजाज का सीधा असर आम जनजीवन पर पड़ने वाला है।
- शहरी क्षेत्रों में जलभराव: अचानक और भारी बारिश से दिल्ली, मुंबई, पटना, कोलकाता जैसे बड़े शहरों में जलभराव और ट्रैफिक जाम की समस्या गंभीर हो सकती है। नगर निगमों को जल निकासी प्रणालियों को दुरुस्त रखने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। लोगों को बिजली कटौती और आवागमन में बाधा का भी सामना करना पड़ सकता है।
- खेती पर सीधा असर: किसानों के लिए मॉनसून का यह बदलता पैटर्न किसी परीक्षा से कम नहीं। जहां एक ओर अत्यधिक बारिश धान और अन्य खरीफ फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है, वहीं कम बारिश वाले क्षेत्रों में बुवाई में देरी या सूखे की स्थिति से फसल बर्बाद होने का खतरा है।
- आपदा प्रबंधन की चुनौती: अचानक आने वाली बाढ़, भूस्खलन (खासकर पहाड़ी इलाकों में) और वज्रपात जैसी घटनाओं से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन टीमों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
क्या है इस बदलाव की वजह? जलवायु परिवर्तन का असर?
कई मौसम विज्ञानी और पर्यावरण विशेषज्ञ मॉनसून के इस अनियमित व्यवहार को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से जोड़कर देख रहे हैं। उनका मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसमी पैटर्न में अप्रत्याशित बदलाव आ रहे हैं, जिससे अत्यधिक गर्मियां, बेमौसम बारिश और लंबे समय तक सूखा जैसी स्थितियां सामान्य होती जा रही हैं। यह भविष्य के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि हमें पर्यावरण संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन को कम करने पर और अधिक ध्यान देना होगा।
आपको क्या करना चाहिए? रहें सतर्क और सुरक्षित!
IMD ने सभी नागरिकों से सतर्क रहने और मौसम विभाग द्वारा जारी की गई चेतावनियों पर ध्यान देने का आग्रह किया है।
- सुरक्षित स्थानों पर रहें: भारी बारिश या तूफान की स्थिति में अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें।
- जलभराव से बचें: जलभराव वाले इलाकों में गाड़ी चलाने या पैदल जाने से बचें।
- तैयार रहें: अपने घरों में आपातकालीन किट तैयार रखें, जिसमें दवाएं, पीने का पानी और जरूरी सामान हो।
- किसानों के लिए सलाह: किसान भाई मौसम विभाग और कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार ही अपनी फसलों की बुवाई और कटाई का प्रबंधन करें।
मॉनसून का यह नया मिजाज एक बार फिर हमें प्रकृति की अप्रत्याशित शक्ति और उसके प्रति हमारी तैयारियों की याद दिलाता है। सतर्क रहें, सुरक्षित रहें!
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