नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गरीबों और वंचितों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना – PMJAY) पर सवाल उठाते हुए एक बड़ा मामला सामने आया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक 73 वर्षीय वृद्ध व्यक्ति की शिकायत पर केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और पश्चिम विहार स्थित एक निजी अस्पताल से जवाब मांगा है। वृद्ध व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि आयुष्मान भारत कार्ड होने के बावजूद उनसे चिकित्सा परीक्षणों और भर्ती के लिए अवैध रूप से शुल्क लिया गया।
मामला क्या है? (पीड़ित का आरोप) यह मामला पश्चिमी दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके के एक निजी अस्पताल से जुड़ा है। एक 73 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति, जो आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी हैं, ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर शिकायत की है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि उन्हें गंभीर बीमारी के इलाज के लिए उक्त निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके पास वैध आयुष्मान भारत कार्ड था, जिसके तहत उन्हें सूचीबद्ध चिकित्सा प्रक्रियाओं और अस्पताल में भर्ती के लिए कोई शुल्क नहीं देना था। हालांकि, अस्पताल ने कथित तौर पर उनसे विभिन्न चिकित्सा परीक्षणों, दवाइयों और अस्पताल में भर्ती रहने के लिए भारी भरकम शुल्क वसूल किया, जबकि यह सभी सेवाएं योजना के दायरे में निःशुल्क होनी चाहिए थीं। यह एक ऐसे बुजुर्ग व्यक्ति के लिए बहुत बड़ा आर्थिक बोझ था, जो पहले से ही उम्र और बीमारी से जूझ रहे थे।
आयुष्मान भारत योजना का उद्देश्य: यह घटना आयुष्मान भारत योजना (PMJAY) के मूल सिद्धांत पर चोट करती है। PMJAY केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना है जिसका लक्ष्य देश के 10 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवारों (लगभग 50 करोड़ लाभार्थी) को प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करना है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब परिवारों को गंभीर बीमारियों के कारण होने वाले भारी चिकित्सा खर्चों से बचाना और उन्हें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना है, ताकि उन्हें इलाज के लिए अपनी जेब से पैसे खर्च न करने पड़ें।
दिल्ली हाई कोर्ट की कार्रवाई: 73 वर्षीय बुजुर्ग की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए, दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले पर तत्काल संज्ञान लिया। माननीय न्यायालय ने याचिकाकर्ता के आरोपों को सुनने के बाद, केंद्र सरकार (जो आयुष्मान भारत योजना की नियंत्रक और कार्यान्वयन एजेंसी है), दिल्ली सरकार (जो अपने राज्य में योजना के तहत आने वाले अस्पतालों की निगरानी करती है), और विशेष रूप से पश्चिम विहार के निजी अस्पताल, जिससे यह शिकायत संबंधित है, से इस पूरे मामले पर विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों को अपना स्पष्टीकरण और जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मामले का महत्व और निहितार्थ: यह मामला आयुष्मान भारत योजना की जमीनी हकीकत और इसके कार्यान्वयन में आने वाली संभावित चुनौतियों को दर्शाता है।
- योजना पर विश्वास का संकट: इस तरह के आरोप योजना के लाभार्थियों के बीच विश्वास को कमजोर करते हैं, खासकर उन गरीब और जरूरतमंद लोगों में, जिन्हें यह योजना जीवन रेखा प्रतीत होती है। यदि लाभार्थी को कार्ड होने के बावजूद पैसे देने पड़ते हैं, तो योजना का मूल उद्देश्य ही विफल हो जाता है।
- निजी अस्पतालों की जवाबदेही: यह मामला उन निजी अस्पतालों की जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है जो आयुष्मान भारत योजना के तहत सूचीबद्ध हैं। इन अस्पतालों को योजना के नियमों का सख्ती से पालन करना और लाभार्थियों से किसी भी प्रकार का अवैध शुल्क नहीं लेना होता है।
- नियामक तंत्र में कमी: यह घटना इस बात की ओर भी इशारा करती है कि योजना के तहत empanelled अस्पतालों की निगरानी और उन पर नियंत्रण रखने वाले नियामक तंत्र में कहीं न कहीं खामियां हो सकती हैं, जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है।
- अन्य लाभार्थियों के लिए उदाहरण: यह मामला अन्य उन लाभार्थियों को भी प्रोत्साहन दे सकता है, जो इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं, लेकिन शिकायत करने से झिझक रहे हैं।
- सरकार पर दबाव: दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा जवाब मांगे जाने से केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों पर इस मामले को गंभीरता से लेने और आयुष्मान भारत योजना के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ेगा।
न्यायालय के इस हस्तक्षेप से उम्मीद है कि इस विशेष मामले में न्याय मिलेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे, जिससे आयुष्मान भारत योजना अपने वास्तविक लाभार्थियों तक बिना किसी बाधा के पहुँच सकेगी।
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