बेतिया, पश्चिम चंपारण: बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित वाल्मीकिनगर हवाई अड्डा, जो लंबे समय से उपेक्षित था, अब जल्द ही एक सक्रिय हवाईअड्डे के रूप में अपनी सेवाएँ देना शुरू करने वाला है। यह खबर क्षेत्र के लिए आशा और विकास की एक नई किरण लेकर आई है, क्योंकि इसके चालू होने से दिल्ली समेत देश के अन्य प्रमुख शहरों के लिए सीधी हवाई कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी, जिससे इस क्षेत्र को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर एक नई पहचान मिलेगी।
वाल्मीकिनगर हवाई अड्डे का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और रणनीतिक महत्व: वाल्मीकिनगर हवाई अड्डा एक नया निर्माण नहीं है, बल्कि यह एक पुराना हवाई पट्टी है जिसका उपयोग पूर्व में छिटपुट रूप से किया जाता रहा था। यह हवाई पट्टी दशकों से निष्क्रिय पड़ी थी, लेकिन इसकी रणनीतिक स्थिति हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। यह बिहार के पश्चिमी छोर पर, उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ और सबसे महत्वपूर्ण रूप से नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा हुआ है। इसके अलावा, यह बिहार के एकमात्र वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के ठीक प्रवेश द्वार पर स्थित है, जो इसे पर्यावरणीय और पर्यटन दोनों दृष्टियों से अत्यधिक महत्वपूर्ण बनाता है।
इस हवाई अड्डे को पुनर्जीवित करने का निर्णय क्षेत्र की अपार पर्यटन क्षमता को भुनाने और स्थानीय निवासियों के लिए यात्रा को सुगम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसका स्थान इसे न केवल वन्यजीव प्रेमियों और प्रकृति के प्रति उत्साही लोगों के लिए आकर्षक बनाता है, बल्कि धार्मिक पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पास में ही ऐतिहासिक वाल्मीकि आश्रम और त्रिवेणी संगम (जहाँ गंडक, सोनहा और मसाण नदियाँ मिलती हैं) जैसे स्थल हैं। नेपाल से सटे होने के कारण, यह सीमा पार पर्यटन और व्यापार के लिए भी एक महत्वपूर्ण कड़ी बन सकता है।
‘उड़ान’ योजना के तहत पुनरुत्थान: वाल्मीकिनगर हवाई अड्डे के पुनरुत्थान में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘उड़ान’ (UDAN – Ude Desh ka Aam Nagrik) योजना की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के छोटे और क्षेत्रीय हवाई अड्डों को हवाई मानचित्र पर लाना और आम जनता के लिए हवाई यात्रा को किफायती तथा सुलभ बनाना है। ‘उड़ान’ योजना के तहत, क्षेत्रीय मार्गों पर एयरलाइंस को वायबिलिटी गैप फंडिंग (VGF) के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ताकि वे कम किरायों पर भी अपनी सेवाएं जारी रख सकें। वाल्मीकिनगर हवाई अड्डे को ‘उड़ान’ योजना के तहत एक प्रमुख गंतव्य के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो इसकी परिचालन स्थिरता सुनिश्चित करेगा।
बुनियादी ढाँचे का उन्नयन और परिचालन की तैयारी: विमान परिचालन शुरू करने के लिए हवाई अड्डे पर व्यापक स्तर पर उन्नयन कार्य किए गए हैं। इसमें रनवे की मरम्मत और मजबूतीकरण, आधुनिक एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) सुविधाओं की स्थापना, यात्रियों के लिए एक आधुनिक और सुसज्जित टर्मिनल बिल्डिंग का निर्माण या नवीनीकरण शामिल है। टर्मिनल बिल्डिंग में यात्रियों की सुविधा के लिए चेक-इन काउंटर, प्रतीक्षा लाउंज, सुरक्षा जाँच प्रणालियाँ और सामान संभालने की सुविधाएँ शामिल होंगी। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) और राज्य सरकार के बीच इस परियोजना को गति देने के लिए निरंतर समन्वय रहा है। हवाई अड्डे पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती भी की जाएगी।
आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन की उम्मीदें: वाल्मीकिनगर हवाई अड्डे से विमान सेवा शुरू होने से पश्चिम चंपारण और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन आने की उम्मीद है:
- पर्यटन उछाल: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पर्यटकों की संख्या में कई गुना वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय होटल, गेस्ट हाउस, गाइड्स और परिवहन सेवाओं को सीधा लाभ मिलेगा। यह इको-टूरिज्म को एक नया आयाम देगा।
- रोजगार सृजन: हवाई अड्डे के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संचालन से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, जिनमें हवाईअड्डा प्रबंधन, सुरक्षा, ग्राउंड स्टाफ, एयरलाइन कर्मचारी, पर्यटन, हॉस्पिटैलिटी और सहायक सेवाएँ शामिल हैं।
- निवेश और व्यापार: बेहतर कनेक्टिविटी से व्यापारिक समुदाय और निवेशकों को इस क्षेत्र तक पहुँचने में आसानी होगी, जिससे नए उद्योगों की स्थापना और स्थानीय उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है।
- स्वास्थ्य और शिक्षा तक पहुँच: गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए बड़े शहरों में बेहतर चिकित्सा सुविधाओं तक पहुँचना आसान हो जाएगा। छात्रों और पेशेवरों के लिए भी शैक्षिक और व्यावसायिक केंद्रों तक आवागमन सुगम होगा।
- क्षेत्रीय विकास का इंजन: यह हवाई अड्डा पश्चिमी बिहार के इस अपेक्षाकृत कम विकसित हिस्से के लिए विकास का एक महत्वपूर्ण इंजन साबित होगा, जो समग्र क्षेत्रीय संतुलन में सुधार करेगा।
चुनौतियाँ और भविष्य की राह: हालांकि यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं। हवाई सेवा की स्थिरता और निरंतरता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा, जिसके लिए नियमित यात्री यातायात और एयरलाइंस के लिए मार्ग की लाभप्रदता बनाए रखना आवश्यक होगा। इसके अतिरिक्त, हवाई अड्डे से आसपास के पर्यटक स्थलों और शहरों तक सड़क संपर्क को और मजबूत करना होगा। पर्यावरणीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए विकास और संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना भी एक सतत चुनौती होगी।
वाल्मीकिनगर हवाई अड्डे से विमानों का परिचालन बिहार के क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और पर्यटन विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा, जो इस क्षेत्र को देश के मुख्यधारा से और मजबूती से जोड़ेगा।
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