पटना: राजधानी पटना में साइबर अपराधियों का दुस्साहस थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बार उन्होंने एक ऐसे सम्मानित और शिक्षित परिवार को निशाना बनाया है, जिसने समाज की सेवा में अपनी पूरी जिंदगी लगा दी। पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) के एक रिटायर्ड डॉक्टर दंपति को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर डरा-धमका कर साइबर अपराधियों ने पूरे 1 करोड़ 95 लाख रुपये ठग लिए। यह घटना पटना के पॉश इलाके बोरिंग रोड की है, जिसने एक बार फिर साइबर क्राइम के बढ़ते खतरे को उजागर कर दिया है।
क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’ और कैसे फंसा दंपति?
साइबर ठगी का यह नया तरीका ‘डिजिटल अरेस्ट’ (Digital Arrest) कहलाता है, जिसमें अपराधी खुद को पुलिस या सीबीआई अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं। इस मामले में, अपराधियों ने डॉक्टर दंपति को फोन किया और उन्हें बताया कि उनके नाम पर अवैध पार्सल भेजे गए हैं, जिनमें ड्रग्स और आपत्तिजनक सामग्री है। उन्होंने धमकी दी कि अगर उन्होंने बात नहीं मानी, तो उन्हें ‘डिजिटल रूप से गिरफ्तार’ कर लिया जाएगा और उनके बैंक खाते सीज कर दिए जाएंगे।
डॉक्टर दंपति, जो स्वभाव से सीधे और कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं, इन धमकियों से घबरा गए। अपराधियों ने उन्हें विश्वास दिलाया कि ‘जांच’ के लिए उन्हें अपने बैंक खातों से पैसे एक ‘सुरक्षित सरकारी खाते’ में ट्रांसफर करने होंगे। डर के मारे और कानून का उल्लंघन न करने की नीयत से, दंपति ने किस्तों में अपनी जिंदगी भर की सारी जमा पूंजी, पेंशन और बचत के 1 करोड़ 95 लाख रुपये अपराधियों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए।
कैसे सामने आई ठगी?
कुछ दिनों बाद जब दंपति को लगा कि उनकी ‘जांच’ पूरी नहीं हो रही है और न ही उन्हें उनके पैसे वापस मिले, तो उन्हें शक हुआ। उन्होंने स्थानीय पुलिस से संपर्क किया और अपनी आपबीती सुनाई। पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज किया और जांच शुरू कर दी है। पुलिस के अनुसार, यह गिरोह देश के विभिन्न हिस्सों से सक्रिय है और ऐसे मामलों में तकनीकी जानकारी का उपयोग कर रहा है।
साइबर क्राइम: एक गंभीर चेतावनी
यह घटना एक बार फिर इस बात की चेतावनी देती है कि साइबर अपराधी कितने शातिर हो गए हैं। वे अब सिर्फ कम पढ़े-लिखे लोगों को ही नहीं, बल्कि डॉक्टर, इंजीनियर जैसे उच्च शिक्षित और जागरूक लोगों को भी निशाना बना रहे हैं।
बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान:
- सत्यापन करें: अगर आपको पुलिस, सीबीआई या किसी भी सरकारी एजेंसी से ऐसा कोई फोन आता है जो आपसे पैसे ट्रांसफर करने या निजी जानकारी मांगने को कहता है, तो तुरंत उस एजेंसी की आधिकारिक वेबसाइट या हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके सत्यापन करें।
- दबाव में न आएं: साइबर अपराधी आपको डराने और दबाव डालने की कोशिश करेंगे। ऐसे में घबराएं नहीं और कोई भी कदम उठाने से पहले किसी विश्वसनीय व्यक्ति या पुलिस से सलाह लें।
- व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें: अपने बैंक खाते का विवरण, ओटीपी, पिन या कोई भी अन्य संवेदनशील जानकारी किसी के साथ साझा न करें, चाहे वह कोई भी दावा करे।
- ‘डिजिटल अरेस्ट’ या ‘सुरक्षित खाता’ जैसी बातों पर विश्वास न करें: कोई भी सरकारी एजेंसी या बैंक इस तरह से पैसे ट्रांसफर करने को नहीं कहता है। यह साइबर ठगी का एक सामान्य तरीका है।
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